Popular Hindi Lugdi Hindi: Hindi Ka Lokpriya Sahitya (Hindi Edition)
Prabhat Ranjan
An Overview of Popular and Non-Popular Hindi literature writings.
हिंदी में पॉपुलर लेखकों को ऐसे देखा जाता है जैसे वे अपराधी हों, उन्होंने समाज में बुराई का प्रचार किया हो। पॉपुलर साहित्य गंभीर साहित्य का हमजाद है। लेकिन हिंदी की मुख्यधारा के विमर्श में उसको हमेशा पाप के साहित्य की तरह देखा गया। बचपन से हमें सिखाया जाता था कि अगर हमने गुलशन नंदा या मनोज या राजवंश या रानू के उपन्यास पढ़ लिए तो उसका असर गलत संगति जैसा हो जाएगा। अच्छा क्या होता है यह जानने से पहले हम बुरे साहित्य को जान गए। उसको इतना बुरा मान गए कि कभी पलट कर उसकी चर्चा तक नहीं की। कभी उसको सस्ता साहित्य कहते रहे, कभी लुगदी, कभी फुटपाथ साहित्य।
हिंदी की मुख्यधारा के साहित्य में उसको हाशिये तक पर जगह नही दी गई। कभी इसका मूल्यांकन नहीं किया गया कि पॉपुलर हिंदी साहित्य ने लोगों में पढ़ने की आदत डालने में कितना योगदान किया? किस तरह से इसने आम लोगों को पाठक बनाया?
हिंदी के कुछ प्रमुख लोकप्रिय लेखकों के बारे में हम कुछ नहीं जानते, लोकप्रिय साहित्य की प्रवृत्तियों, विधाओं के बारे में हम कुछ नहीं जानते। हम सब भूलते जा रहे हैं। यह किताब उसी भूलने के विरुद्ध एक कोशिश है।
हिंदी में पॉपुलर लेखकों को ऐसे देखा जाता है जैसे वे अपराधी हों, उन्होंने समाज में बुराई का प्रचार किया हो। पॉपुलर साहित्य गंभीर साहित्य का हमजाद है। लेकिन हिंदी की मुख्यधारा के विमर्श में उसको हमेशा पाप के साहित्य की तरह देखा गया। बचपन से हमें सिखाया जाता था कि अगर हमने गुलशन नंदा या मनोज या राजवंश या रानू के उपन्यास पढ़ लिए तो उसका असर गलत संगति जैसा हो जाएगा। अच्छा क्या होता है यह जानने से पहले हम बुरे साहित्य को जान गए। उसको इतना बुरा मान गए कि कभी पलट कर उसकी चर्चा तक नहीं की। कभी उसको सस्ता साहित्य कहते रहे, कभी लुगदी, कभी फुटपाथ साहित्य।
हिंदी की मुख्यधारा के साहित्य में उसको हाशिये तक पर जगह नही दी गई। कभी इसका मूल्यांकन नहीं किया गया कि पॉपुलर हिंदी साहित्य ने लोगों में पढ़ने की आदत डालने में कितना योगदान किया? किस तरह से इसने आम लोगों को पाठक बनाया?
हिंदी के कुछ प्रमुख लोकप्रिय लेखकों के बारे में हम कुछ नहीं जानते, लोकप्रिय साहित्य की प्रवृत्तियों, विधाओं के बारे में हम कुछ नहीं जानते। हम सब भूलते जा रहे हैं। यह किताब उसी भूलने के विरुद्ध एक कोशिश है।
Categorias:
Ano:
2017
Edição:
1
Editora:
Jankipul
Idioma:
hindi
Páginas:
72
Arquivo:
EPUB, 2.05 MB
IPFS:
,
hindi, 2017